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Showing posts from 2017

आईसीसी करना चाहता है क्रिकेट को ओलम्पिक में शामिल लेकिन भारत बन रहा है रोड़ा

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नई दिल्ली :  ओलंपिक खेलो में यदि क्रिकेट को शामिल कर लिया जाये तो भारत के लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या होगी,क्योकि इसमें भारत को मैडल मिलना बिलकुल तय है.लेकिन भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने अभी तक इस मामले में अपनी सहमति नहीं जताई है.ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करने पर आईसीसी भरपूर प्रयास कर रही है.ऐसे में भारतीय क्रिकेट को चलाने वाले बीसीसीआइ ने अड़ियल रुख अपना लिया है.जिसकी वजह से क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल करने में दिक्कतें आ रही हैं.आईसीसी और आईओसी क्रिकेट के टी-२० प्रारूप को ओलंपिक खेलो में शामिल करना चाहते है.लेकिन बीसीसीआई क्रिकेट को ओलंपिक खेलो में शामिल करने के पक्ष में नहीं है. इन कारणों से नहीं है पक्ष में बीसीसीआई : भारतीय क्रिकेट अभी पूर्ण रूप बीसीसीआई के अधीन है.ऐसा करने पर भारतीय क्रिकेट पर बीसीसीआई की स्वायत्ता पर कोई खतरा उत्पन्न हो सकता है.दूसरा सबसे प्रमुख कारण है राजस्व,अगर बीसीसीआइ आईओए में शामिल होता है तो उसे अपना राजस्व बाँटना होगा जो बीसीसीआइ बिल्कुल भी नहीं चाहती है. ये भी शर्त है आईओसी की : अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने ओलंपिक खेलों में क्रिके...

दो साल में हुयी घटनाओ से ये देश हुआ सबसे ज्यादा सेल्फी डेड कंट्री में शामिल

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वर्त्तमान समय में सोशल मीडिया दुनिया के सामने अपनी बात रखने का एक बहुत ही अच्छा प्लेटफ़ॉर्म बन चुका है.हालाकि इसके कुछ गुण तो कुछ दोष है.आज के दौर में खासकर युवा वर्ग इन मीडिया पर अपनी काफी फोटो अपलोड करते रहते है.क्योकि वो अपने आप को इस संसार से कुछ अलग दिखने की चाह रखते है.इसीलिए आजकल के युवा खतरों से भरी जगह में जाकर खुद से सेल्फी लेते है.धीरे धीरे उनकी यही आदत जानलेवा साबित होती है.सेल्फी लेने से हुयी मौतों के मामले में भारत का स्थान अन्य देशो की तुलना में पहले नम्बर पर है.पिच्क्निक स्पॉट,समन्दर की लहरे या कोई भी खतरनाक ऊँची जगह ये सब युवाओ को सेल्फी लेने के लिए अपनी और आकर्षित करती है.जिसके कारण उनकी यही लत जानलेवा साबित हो रही है. जानिए दो सालो में इसके कारण कितनी मौते हुई : एक सर्वे के अनुसार साल २०१४ से २०१६ तक पूरे विश्व में सेल्फी लेने के कारण १२७ लोगो की असमय मृत्यु हुई.जिनमे से ७६ मृत्यु अकेले भारत में हुई.जिस कारण भारत इस तरह होने वाली घटनाओ के मामले में टॉप पर पहुच गया है. यहाँ बनाये गए है नो सेल्फी जोन : पिछले साल २०१६ को सेल्फी से होने वाली ...

क्या आप जानते है की रसायन युद्ध की शुरुआत कब हुई और इसके क्या परिणाम हुए

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क्या आप जानते है की रसायन युद्ध की शुरुआत कब हुई और इसके क्या परिणाम हुए photo credit : www.google.com रसायन युद्ध का अर्थ :  युद्ध में अपने शत्रुओ के विरुद्ध कुछ ऐसे रसायनों का प्रयोग जिससे उन्हें शारीरिक हानि पहुचे या उनके भोजन भंडार नष्ट हो जाये.ये हथियार अधिकतर जीवन को तो नष्ट साथ साथ प्राकर्तिक सम्पंदा को भी नुकसान पहुचाते है.ऐसे युद्ध को रसायन युद्ध नाम दिया गया. जानिए रसायन युद्ध का इतिहास  : इस बात के प्रमाण मिले है कि यूनानी सेना ने इस तरह के हथियारों का सर्वप्रथम आविष्कार किया था और इनका प्रयोग ये अपने शत्रुओ के खिलाफ किया करते थे. प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान इन हथियारों का भरपूर रूप से इस्तेमाल किया गया,हालाकि उस समय इसका प्रभाव कम हुआ.इसी तरह 1917 में जर्मनी ने मस्टड गैस का प्रयोग किया.इस गैस की विशेषता थी की ये सीधे स्किन पर असर कर इसी के रास्ते शरीर के अन्दर प्रवेश करती थी.इस तरह गैस से बचने के लिए पहने गए मास्क इसके सामने बेकार साबित हुए. photo credit : www.google.com इस गैस के प्रभाव में आकर स्किन में चकतिया पड जाती उसके बाद फेफड़ो में जलन...

जानिए : अमेरिका के इस मदर ऑफ़ ऑल बम और इसकी विशेताए के बारे में

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photo credit : www.google.com अमेरिका सेना का सबसे शक्तिशाली व सबसे बड़ा आयुध हथियार जीबीयू-43 जिसे मदर ऑफ़ बम के नाम से भी जाना जाता है. ये सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु हथियार के रूप में जाना जाता है. मुख्य रूप से सी-130 हर्कुलस विमान के लिए ये बनाया गया है. इस बम की खोज अमेरिकी वायु सेना अनुसन्धान के वैज्ञानिक अल्बर्ट ल वीमॉर्ट्स ने सन 2002 में की और 2003 से ये अमेरिकी वायुसेना के पास है.इसका पहला प्रयोग अफगानिस्तान में ईरान व सीरिया के आतंकी अड्डो में 13 अप्रैल 2017 को किया. जिससे वहा भयंकर तबाही हुई. इस बम से है समानता : photo credit : www.google.com अमेरिका के एक दुसरे बम बीलयू-82 डेजी कटर के समान है. photo credit : www.google.com इस बम का प्रयोग अमेरिकी सेना के द्वारा वियतनाम युद्ध के दौरान भारी जंगलो को साफ करने के लिए किया गया था. इस बम का दूसरा प्रयोग तालिबान के विरुद्ध सन 2001 में किया गया. ये है विशेताए : 1- सी-130 कार्गो विमान से ही इसे छोड़ा जा सकता है. 2- इसका वजन 9800 किलोग्राम और लम्बाई 9 मीटर है. 3- ये बम 11 टन टीनटी के बराबर विस्फोट कर सकता है. 4-...

80 सालो मे होंगे दुनिया में ये भयंकर परिणाम जाने

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वाशिंगटन(डीसी) : वैज्ञानिको ने इस सम्बन्ध में चेतावनी दी है आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग  और जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम हो सकते है। उन्होंने कहा है कि विश्व के सभी देशों ने एकजुट होकर ग्लोबल वार्मिंग के लिए एक ठोस नीति बनानी चाहिए। google.com एक रिपोर्ट के अनुसार अगर इतनी बड़ी मात्रा में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन लगातार जारी रहा तो विश्व की तीन- चौथाई आबादी को जल्द ही लू के थपेड़ो का सामना करना पड़ सकता है। नेचर क्लाइमेट नमक एक पत्रिका के लेख में छपे शोधपत्र  के अनुसार मानव के भविष्य के सामने एक बहुत ही बड़ा संकट पैदा हो गया है। इसमें ये भी कहा गया है की इंसानी शरीर ३७ डिग्री सेल्सियस तथा इसके आस पास के टेंपरेचर को ही सहन कर सकता है इससे ज्यादा की स्थिति को सहन करने के लिए मानव में अभी ये रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं है इस गर्मी के परिणाम स्वरुप कैंसर तथा त्वचा सम्बंन्धित रोगो में भी तीव्र गति से बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है। 

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सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़े कुछ प्रश्न जो हर प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाते है.भाग एक

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दोस्तों यह पोस्ट सिन्धु घाटी सभ्यता से  प्रतियोगी परीक्षा में पूछे गए सवालो को और इसके उत्तर की पूरी तरह से व्याख्या पर आधारित है.दोस्तों अपनी हर पोस्ट १० सवालो का एक सेट होगा जो विभिन्न प्रकार की एग्जाम में पूछे गए है दोस्तों अगर आपको ये पोस्ट पसंद आये तो प्लीज़ हमें कमेंट करे.ताकि में इससे जुड़े कुछ और महवपूर्ण सवालो को आपके लिए ला सकू. १- सिन्धु घाटी की सभ्यता गैर आर्य थी,क्योकि (अ) वह नगरीय सभ्यता थी.                                         (ब) उसकी अपनी लिपि थी. (स ) उसका विस्तार नर्मदा घाटी तक था.                     (द ) उसकी खेतिहर अर्थव्यवस्था थी. उत्तर - सिन्धु घाटी सभ्यता गैर आर्य मुख्य रूप से इसलिए थी क्योकि वह नगरीय सभ्यता थी.जबकि आर्य सभ्यता ग्रामीण थी. २- सिन्धु घाटी सभ्यता सम्बंधित है. (अ) प्रगेतिहासिक युग से                            ...

जानिए हड़प्पा सभ्यता की खोज की कहानी

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हडप्पा का उल्लेख सबसे सन 1826 पहले चार्ल्स मैसन के द्वारा किया गया.1856 में कराची से लाहौर तक रेल लाइन बिछाने के दौरान हुई खुदाई में  जान ब्रेटन एवं विलियम ब्रेटन नामक अंग्रेजों को कुछ पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए.इसी तरह 1873 किसी में जर्नल जनरल कनिंघम को भी कुछ हड़प्पा हड़प्पाई पूरावस्तुएं प्राप्त हुई. 1912ईस्वी में  जे ऐफ फ्लीट महोदय ने यहां से प्राप्त पूरा वस्तुओं के आधार पर एक लेख लिखा.लेकिन कनिंघम और फ्लीट महोदय हड़प्पा सभ्यता के महत्व का मूल्यांकन करने में असमर्थ रहे.इस महत्वपूर्ण सभ्यता का पता लगाने  श्रेय राय बहादुर श्री दयाराम साहनी को जाता है. इन्होंने सन 1921 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रावी नदी के तट पर हड़प्पा नामक स्थल पर पुरातात्विक उत्खनन कार्य किये और कई मोहरे प्राप्त की. इसके दूसरे ही वर्ष 1922 ईस्वी में राखल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज की  यह स्थान पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित था. इस प्रकार हड़प्पा सभ्यता का उद्भव हुआ और फिर यहाँ हुए पुरातात्विक उत्खननो से एक के बाद एक कई नगर प्राप्त हुए....

जानिए क्या है सेल्फी मेनिया,मनोरोग के अलावा इसके कारण इन बीमारियों का भी हो सकते है शिकार

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सेल्फी : वर्तमान में प्रसिद्ध शब्द सेल्फी का अर्थ है स्वचित्र,यानि खुद अपने द्वारा अपना चित्र लेना.हाल ही में बढ़ते स्मार्टफोन के चलते ये शब्द प्रचलन में आया.सन २०१४ को ऑक्सफ़ोर्ड ने ये शब्द अपने शब्दकोष में शामिल किया और इस वर्ष को सेल्फी वर्ष घोषित किया. जानिए सेल्फी कैसे एक मानसिक बीमारी है : इस समय लगभग देश में १२० करोड लोग मोबाइल फ़ोन यूज़ कर रहे है.सेल्फी लेना मनुष्य की गहरी सनक को दर्शाता है.वर्तमान समय में सोशल मीडिया की अत्यधिक दीवानगी ने ही सेल्फी को जन्म दिया.कोई भी व्यक्ति चाहे वो महिला हो या पुरुष मोबाइल फ़ोन से सेल्फी लेकर जब उसे सोशल मीडिया में पोस्ट करता है और लिखे और कमेंट पाकर खुश होने लगता है तो समझ लीजिये की वे धीरे धीरे इस बीमारी की ओर बढ़ रहा है.बार-बार सेल्फी लेने वाले व्यक्ति को नासीसिजम नमक बीमारी हो सकती है और ऐसे व्यक्ति ओ नासीसिजम रोगी कहते है. photo credit : www.google.com जानिए क्या है नासीसिजम : इस बीमारी की खोज सेकड़ो वर्ष पहले ग्रीस में हुई. ग्रीक कहानियो के अनुसार नासीसस नामक युवक ने जब अपना अक्स पानी में देखा तो उसे ये भ्रम हो गया कि वह दुनिया का...

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जानिए क्या था रतौना आन्दोलन : ब्रिटिश सरकार की पहली शिकस्त

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ब्रिटिश सरकार के विरोध मे भारत मे जून 1920  में रतौना हुआ था। उस समय सर्कार ने डिब्बाबंद गौ -मांस के निर्यात के लिए सागर (मध्यप्रदेश) के पास रतौना ग्राम मे एक कसाईखाना बनाने का प्रयास किया। जिसमे प्रतिदिन 1400  गाय -बैल काटे जाने की सरकार की योजना थी। इसके विरोध में भाई अब्दुल गनी ने सागर में रटना आंदोलन चलाया तथा पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने जबलपुर से निकलने वाले कर्मवीर समाचार माद्यम से इस आंदोलन का प्रचार प्रसार किया। कर्मवीर में  इसके विरोध में 1000  से ज्यादा लेख लिखे गए। लाला लाजपत राय ने भी उर्दू अख़बार वन्देमातरम के माद्यम से भी इसका विरोध किया और इस पर कई लेख प्रकाशित किये। अंग्रेज़ो ने हिन्दू मुस्लिम में फूट डालने के लिए बयान दिया की यहाँ केवल गाय और बैल ही कटे जायेगे सुअर नहीं काटे जायेगे।  लेकिन इस कसाईखाने का सर्वाधिक विरोध 19 वर्षीय मुस्लिम युवक भाई अब्दुल गनी ने किया। सागर में समाचार पत्रों का ये आंदोलन इतना तेज़ था की पूरी भारत में  इसकी गूंज सुनाई देने लगी। इस प्रकार तीव्र विरोध के कारण अंग्रेजी स...