जानिए क्या था रतौना आन्दोलन : ब्रिटिश सरकार की पहली शिकस्त

ब्रिटिश सरकार के विरोध मे भारत मे जून 1920  में रतौना हुआ था। उस समय सर्कार ने डिब्बाबंद गौ -मांस के निर्यात के लिए सागर (मध्यप्रदेश) के पास रतौना ग्राम मे एक कसाईखाना बनाने का प्रयास किया। जिसमे प्रतिदिन 1400  गाय -बैल काटे जाने की सरकार की योजना थी। इसके विरोध में भाई अब्दुल गनी ने सागर में रटना आंदोलन चलाया तथा पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने जबलपुर से निकलने वाले कर्मवीर समाचार माद्यम से इस आंदोलन का प्रचार प्रसार किया। कर्मवीर में  इसके विरोध में 1000  से ज्यादा लेख लिखे गए।
लाला लाजपत राय ने भी उर्दू अख़बार वन्देमातरम के माद्यम से भी इसका विरोध किया और इस पर कई लेख प्रकाशित किये। अंग्रेज़ो ने हिन्दू मुस्लिम में फूट डालने के लिए बयान दिया की यहाँ केवल गाय और बैल ही कटे जायेगे सुअर नहीं काटे जायेगे।  लेकिन इस कसाईखाने का सर्वाधिक विरोध 19 वर्षीय मुस्लिम युवक भाई अब्दुल गनी ने किया। सागर में समाचार पत्रों का ये आंदोलन इतना तेज़ था की पूरी भारत में  इसकी गूंज सुनाई देने लगी। इस प्रकार तीव्र विरोध के कारण अंग्रेजी सरकार पस्त हो गयी और सितम्बर 1920  को उन्होंने अपनी ये योजना त्याग दी। 

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