क्या आप जानते है की रसायन युद्ध की शुरुआत कब हुई और इसके क्या परिणाम हुए
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क्या आप जानते है की रसायन युद्ध की शुरुआत कब हुई और इसके क्या परिणाम हुए

रसायन युद्ध का अर्थ : युद्ध में अपने शत्रुओ के विरुद्ध कुछ ऐसे रसायनों का प्रयोग जिससे उन्हें शारीरिक हानि पहुचे या उनके भोजन भंडार नष्ट हो जाये.ये हथियार अधिकतर जीवन को तो नष्ट साथ साथ प्राकर्तिक सम्पंदा को भी नुकसान पहुचाते है.ऐसे युद्ध को रसायन युद्ध नाम दिया गया.
जानिए रसायन युद्ध का इतिहास : इस बात के प्रमाण मिले है कि यूनानी सेना ने इस तरह के हथियारों का सर्वप्रथम आविष्कार किया था और इनका प्रयोग ये अपने शत्रुओ के खिलाफ किया करते थे. प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान इन हथियारों का भरपूर रूप से इस्तेमाल किया गया,हालाकि उस समय इसका प्रभाव कम हुआ.इसी तरह 1917 में जर्मनी ने मस्टड गैस का प्रयोग किया.इस गैस की विशेषता थी की ये सीधे स्किन पर असर कर इसी के रास्ते शरीर के अन्दर प्रवेश करती थी.इस तरह गैस से बचने के लिए पहने गए मास्क इसके सामने बेकार साबित हुए.

इस गैस के प्रभाव में आकर स्किन में चकतिया पड जाती उसके बाद फेफड़ो में जलन होने लगती थी.इस युद्ध में इस गैस के कारण बहुत से सैनिको को अपनी जान गवानी पड़ी.प्रथम विश्व युद्ध हरने के बाद जर्मनी ने स्नायु गासो की खोज की.ये अब तक बनाये गए रसायन हथियारों में सबसे ज्यादा प्रभावशाली थी पर इसका प्रयोग कभी नहीं किया गया.ये गैस स्नायु कोशिका में प्रवेश करके अपना असर दिखाती थी.
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इससे उल्टी होना,घबराहट और मृत्यु भी हो सकती थी.विभिन्न देशो ने इस प्रकार की अनेक जहरीली गैसों का निर्माण किया.इसी प्रकार की एक गैस अश्रु गैस है जो अपना अस्थायी प्रभाव दिखाती है,इस गैस के संपर्क में आने से लगातार आशु बहते रहते है,और नाक,मुह औरआँखों में अत्यधिक जलन होती है जिसके साथ जोर-जोर से खासी आने लगती है.इसका प्रयोग आजकल पुलिस भीड़ पर नियंत्रण रखने के लिए भी करती है.गैस युद्ध इतना हानिकारक होता है कि इसको रोकने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय समझोते हुए.इसीलिए प्रथम विश्वयुद्ध के बाद इनका प्रयोग कम ही हुआ है.
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