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जानिए हड़प्पा सभ्यता की खोज की कहानी

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हडप्पा का उल्लेख सबसे सन 1826 पहले चार्ल्स मैसन के द्वारा किया गया.1856 में कराची से लाहौर तक रेल लाइन बिछाने के दौरान हुई खुदाई में  जान ब्रेटन एवं विलियम ब्रेटन नामक अंग्रेजों को कुछ पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए.इसी तरह 1873 किसी में जर्नल जनरल कनिंघम को भी कुछ हड़प्पा हड़प्पाई पूरावस्तुएं प्राप्त हुई. 1912ईस्वी में  जे ऐफ फ्लीट महोदय ने यहां से प्राप्त पूरा वस्तुओं के आधार पर एक लेख लिखा.लेकिन कनिंघम और फ्लीट महोदय हड़प्पा सभ्यता के महत्व का मूल्यांकन करने में असमर्थ रहे.इस महत्वपूर्ण सभ्यता का पता लगाने  श्रेय राय बहादुर श्री दयाराम साहनी को जाता है. इन्होंने सन 1921 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रावी नदी के तट पर हड़प्पा नामक स्थल पर पुरातात्विक उत्खनन कार्य किये और कई मोहरे प्राप्त की. इसके दूसरे ही वर्ष 1922 ईस्वी में राखल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज की  यह स्थान पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित था. इस प्रकार हड़प्पा सभ्यता का उद्भव हुआ और फिर यहाँ हुए पुरातात्विक उत्खननो से एक के बाद एक कई नगर प्राप्त हुए....

जानिए क्या है सेल्फी मेनिया,मनोरोग के अलावा इसके कारण इन बीमारियों का भी हो सकते है शिकार

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सेल्फी : वर्तमान में प्रसिद्ध शब्द सेल्फी का अर्थ है स्वचित्र,यानि खुद अपने द्वारा अपना चित्र लेना.हाल ही में बढ़ते स्मार्टफोन के चलते ये शब्द प्रचलन में आया.सन २०१४ को ऑक्सफ़ोर्ड ने ये शब्द अपने शब्दकोष में शामिल किया और इस वर्ष को सेल्फी वर्ष घोषित किया. जानिए सेल्फी कैसे एक मानसिक बीमारी है : इस समय लगभग देश में १२० करोड लोग मोबाइल फ़ोन यूज़ कर रहे है.सेल्फी लेना मनुष्य की गहरी सनक को दर्शाता है.वर्तमान समय में सोशल मीडिया की अत्यधिक दीवानगी ने ही सेल्फी को जन्म दिया.कोई भी व्यक्ति चाहे वो महिला हो या पुरुष मोबाइल फ़ोन से सेल्फी लेकर जब उसे सोशल मीडिया में पोस्ट करता है और लिखे और कमेंट पाकर खुश होने लगता है तो समझ लीजिये की वे धीरे धीरे इस बीमारी की ओर बढ़ रहा है.बार-बार सेल्फी लेने वाले व्यक्ति को नासीसिजम नमक बीमारी हो सकती है और ऐसे व्यक्ति ओ नासीसिजम रोगी कहते है. photo credit : www.google.com जानिए क्या है नासीसिजम : इस बीमारी की खोज सेकड़ो वर्ष पहले ग्रीस में हुई. ग्रीक कहानियो के अनुसार नासीसस नामक युवक ने जब अपना अक्स पानी में देखा तो उसे ये भ्रम हो गया कि वह दुनिया का...

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जानिए क्या था रतौना आन्दोलन : ब्रिटिश सरकार की पहली शिकस्त

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ब्रिटिश सरकार के विरोध मे भारत मे जून 1920  में रतौना हुआ था। उस समय सर्कार ने डिब्बाबंद गौ -मांस के निर्यात के लिए सागर (मध्यप्रदेश) के पास रतौना ग्राम मे एक कसाईखाना बनाने का प्रयास किया। जिसमे प्रतिदिन 1400  गाय -बैल काटे जाने की सरकार की योजना थी। इसके विरोध में भाई अब्दुल गनी ने सागर में रटना आंदोलन चलाया तथा पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने जबलपुर से निकलने वाले कर्मवीर समाचार माद्यम से इस आंदोलन का प्रचार प्रसार किया। कर्मवीर में  इसके विरोध में 1000  से ज्यादा लेख लिखे गए। लाला लाजपत राय ने भी उर्दू अख़बार वन्देमातरम के माद्यम से भी इसका विरोध किया और इस पर कई लेख प्रकाशित किये। अंग्रेज़ो ने हिन्दू मुस्लिम में फूट डालने के लिए बयान दिया की यहाँ केवल गाय और बैल ही कटे जायेगे सुअर नहीं काटे जायेगे।  लेकिन इस कसाईखाने का सर्वाधिक विरोध 19 वर्षीय मुस्लिम युवक भाई अब्दुल गनी ने किया। सागर में समाचार पत्रों का ये आंदोलन इतना तेज़ था की पूरी भारत में  इसकी गूंज सुनाई देने लगी। इस प्रकार तीव्र विरोध के कारण अंग्रेजी स...