जानिए क्या है सेल्फी मेनिया,मनोरोग के अलावा इसके कारण इन बीमारियों का भी हो सकते है शिकार
सेल्फी : वर्तमान में प्रसिद्ध शब्द सेल्फी का अर्थ है स्वचित्र,यानि खुद अपने द्वारा अपना चित्र लेना.हाल ही में बढ़ते स्मार्टफोन के चलते ये शब्द प्रचलन में आया.सन २०१४ को ऑक्सफ़ोर्ड ने ये शब्द अपने शब्दकोष में शामिल किया और इस वर्ष को सेल्फी वर्ष घोषित किया.
photo credit : www.google.com
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जानिए सेल्फी कैसे एक मानसिक बीमारी है : इस समय लगभग देश में १२० करोड लोग मोबाइल फ़ोन यूज़ कर रहे है.सेल्फी लेना मनुष्य की गहरी सनक को दर्शाता है.वर्तमान समय में सोशल मीडिया की अत्यधिक दीवानगी ने ही सेल्फी को जन्म दिया.कोई भी व्यक्ति चाहे वो महिला हो या पुरुष मोबाइल फ़ोन से सेल्फी लेकर जब उसे सोशल मीडिया में पोस्ट करता है और लिखे और कमेंट पाकर खुश होने लगता है तो समझ लीजिये की वे धीरे धीरे इस बीमारी की ओर बढ़ रहा है.बार-बार सेल्फी लेने वाले व्यक्ति को नासीसिजम नमक बीमारी हो सकती है और ऐसे व्यक्ति ओ नासीसिजम रोगी कहते है.

जानिए क्या है नासीसिजम : इस बीमारी की खोज सेकड़ो वर्ष पहले ग्रीस में हुई. ग्रीक कहानियो के अनुसार नासीसस नामक युवक ने जब अपना अक्स पानी में देखा तो उसे ये भ्रम हो गया कि वह दुनिया का सबसे सुन्दर इन्सान है.अपने इसी भ्रम में वो अपने अक्स को पकड़ने के लिए नदी में कूद गया.जिससे उसकी मृत्यु हो गयी.इसी आधार पर नासीसिजम मनोरोग की खोज हुई और इसके नाम से ही इस बीमारी का नाम नासीसिजम पड़ा.
क्या कहते है मनोचिकित्सक : इनके अनुसार जब किसी व्यक्ति को अपने घर,दोस्तों,या समाज में अटेंशन या तारीफ नहीं मिलती है. तो वह सोशल मीडिया या वर्चुअल दुनिया में अपने को साबित करने की कोशिश करता है.और खुद की फोटो खीच पोस्ट करने लगता है और लिखे और कमेंट पाकर ख़ुशी का अहसास करता है.जिससे व्यक्ति का लिंबिक सिस्टम ओवर एक्टिव हो जाता है.जिस कारण सेल्फी खीचने की उसकी ये लत भयंकर बीमारी का रूप ले लेती है और वह नासीसिजम से पीड़ित हो जाता है.इस बीमारी से बचाव के लिए ऐसे रोगी को घर और समाज में अटेन्सन दिया जाना चाहिए.जिससे वे इस रोग से उबर सके.

इन बीमारियों का भी हो सकते है शिकार : इसके अलावा इससे ये बीमारी भी हो सकती है.
- सेल्फी अल्बो : दिन में लगातार सेल्फी लेने वाले लोग इससे प्रभावित हो सकते है क्योकि बार बार सेल्फी लेने से कोहनी का कार्य बढ़ता है .जो धीरे धीरे गंभीर रोग में बदल जाता है.
- चेहरे पर आ सकते है समय पूर्व रिंकल्स : सेल्फी लेने के दौरान कैमरे से निकलने वाले नीले रंग के रेडिएशन त्वचा में मोजूद डीएनए पर प्रभाव डालता है.जिसके कारण त्वचा के सुधार करने की क्षमता में कमी आती है.जिससे चेहरे की रंगत धीरे धीरे उड़ने लगती है और असमय चेहरे में झुरिया उत्पन्न हो जाती है और समय से पहले ऐसा व्यक्ति त्वचा सम्बंधित रोग से ग्रसित हो जाता है.
- खतरनाक जगह जाकर असमय मौत को बुलावा : सेल्फी लेने वाले लोगो के डीएनए में किये गए शोध के अनुसार इस तरह के लोग अपनी झूठी शान दिकने के लिए खतरनाक स्थानों में आकर सेल्फी लेते है और अपनी जिन्दी से हाथ धो बैठते है.
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